हरिद्वार।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद महासचिव एवं जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने बताया कि छड़ी यात्रा का जूना अखाड़ा स्थित मां मायादेवी मंदिर से शुभारंभ होगा यह छड़ी यात्रा उत्तराखंड के सभी तीर्थ स्थलों पर जाएगी और धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करेगी,उन्होंने कहा कि छड़ी यात्रा का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म संस्कृति को संरक्षित संवर्धित कर सनातन धर्म को मजबूत करना है और उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों से पलायन रोक कर उत्तराखण्ड का चहुमुखी विकास करना है।उन्होंने कहा कि पहाड़ की तीर्थ यात्रा को मजबूत करने के लिए हमें शिक्षा चिकित्सा पर विशेष ध्यान देना होगा।उन्होंने कहा कि माता अनुसुइया और भगवान दत्तात्रेय की तपस्थली को विकसित करने के लिए जूना अखाड़ा ओर उत्तराखंड सरकार प्रयासरत हैं,उन्होंने बताया कि भगवान दत्तात्रेय महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूइया के पुत्र थे, जिन्हें त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का अंश माना जाता है। उन्हें आदि गुरु और गुरुओं का गुरु कहा जाता है क्योंकि वे दिव्य ज्ञान के प्रचार-प्रसार के अग्रणी थे।
श्रीमद्भागवत के अनुसार, दत्तात्रेय ने 24 पदार्थों से अनेक शिक्षाएं ग्रहण कीं, जिन्हें वे अपना गुरु मानते थे। देश दुनिया को पता लगना चाहिए कि भगवान दत्तात्रेय ने उत्तराखंड की पवित्र भूमि में तप तपस्या की और लोक कल्याण किया।श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने उत्तराखंड की भूमि की महत्ता बताई।उन्होंने कहा कि संस्कृत और वेद की पाठशालाएं उत्तराखंड के पहाड़ क्षेत्र में बड़े स्तर पर खुलनी चाहिए और शिक्षा चिकित्सा पर सरकार को विशेष ध्यान आकर्षित करना चाहिए।