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प्रयागराज कुंभ मेले के लिए रवाना हुई निरंजनी अखाड़े की जमात

ByAdmin

Dec 20, 2024

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने किया जमात को रवाना

हरिद्वार, 20 दिसम्बर। तपो निधि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के रमता पंचों की जमात शुक्रवार को प्रयागराज महाकुंभ के लिए रवाना हुई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज, निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी ने जय गंगा मैया के उद््घोष के साथ रेलवे स्टेशन से जमात को प्रयागराज रवाना किया। ढोल नगाड़ों के साथ शोभायात्रा के रूप में अखाड़े से प्रयागराज रवाना होने से पूर्व जमात में शामिल संतो महतों ने मां गंगा और अखाड़े के इष्टदेव भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना कर प्रयागराज कुंभ मेला सकुशल संपन्न होने की कामना की। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि समुद्र मंथन में निकले अमृत कलश से पृथ्वी पर चार स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में अमृत की बूंदे गिरी थी। इन चारों स्थानों पर बारी-बारी से कुंभ मेले का आयोजन होता है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि महाकुंभ मेला अखाड़ों का सबसे बड़ा पर्व है। सभी तेरह अखाड़े महाकुंभ में शामिल होते हैं। महाकुंभ में लगने वाले अखाड़ों के शिविरों से प्रसारित होने वाले संत महापुरूषों के उपदेशों से पूरी दुनिया को मार्गदर्शन मिलता है। सनातन धर्म संस्कृति का पूरे विश्व में प्रसार होता है। उन्होंने कहा कि सभी अखाड़ों के संत प्रयागराज महाकुंभ मेले में पहुंचने लगे हैं। सभी अखाड़ों के सहयोग से महाकुंभ मेला भव्य रूप से संपन्न होगा। उन्होंने सभी से प्रयागराज कुंभ मेला में गंगा स्नान करने, संतों के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील भी की। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने बताया कि 30 दिसम्बर को प्रयागराज में संत महापुरूषों के सानिध्य में अखाड़े की धर्म ध्वजा स्थापित की जायेगी। 4 जनवरी 2025 को शोभायात्रा नगर भम्रण के लिए निकाली जायेगी और छावनी प्रवेश होगा। इस दौरान संत समाज अपने ज्ञान, तप द्वारा समाज को सार्थक संदेश देने का प्रयास करेंगे। इस अवसर पर श्रीमहंत नरेश गिरी, श्रीमहंत शिव वन, स्वामी रविपुरी, स्वामी राजगिरी, स्वामी आलोक गिरी, दिगंबर नीलकंठ गिरी, दिगंबर राकेश गिरी, दिगंबर राधेश्याम पुरी, दिगंबर राजेंद्र भारती, दिगंबर रामसेवक सहित हजारों की संख्या में अखाड़े के संत महापुरूष प्रयागराज रवाना हुए।

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