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वैश्विक मंच में गूंजी भारतीय संस्कृति व योग दर्शन की ध्वनि

ByAdmin

Jun 22, 2025

डॉ पंड्या ने की माननीय पोप लियो एवं इटलेयिन प्रधानमंत्री से भेंट

हरिद्वार 22 जून।

युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी की प्रेरणा प्रकाश से ओतप्रोत भारतीय संस्कृति के संवाहक देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या इन दिनों इटली प्रवास में हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर वेटिकन सिटी में आयोजित विशेष कार्यक्रम के तहत वैश्विक मंच से भारतीय संस्कृति व योगदर्शन के संदेश को गणमान्यों से साझा किया। उन्होंंने कहा कि भारतीय संस्कृति एक चेतना है जो आत्म-जागरण, संतुलन और वैश्विक समरसता का मार्ग प्रशस्त करती है। योग उसी संस्कृति की जीवनशैली है, जो मनुष्य को भीतर से रूपांतरित करती है। उपस्थित वैश्विक शीर्षस्थ नेताओं ने भारतीय संस्कृति एवं योग दर्शन की महत्ता को संयमित ढंग से श्रवण किया और कहा कि भारतीय संस्कृति में ही वसुधैव कुटुंबकम के भाव सन्निहित है।

वहीं युवा आइकॉन ने मान. पोप  लियो एवं इटली की प्रधानमंत्री सुश्री जियोर्जिया मेलोनी, श्री लोरेन्ज़ो फोंटाना अध्यक्ष- चेंबर ऑफ डिप्यूटीज, सांसद श्री पियर फर्डिनांडो कासिनी, सेनेटर एवं आई.पी.यू. के मानद अध्यक्ष, इटालियन आईपीयू समूह के अध्यक्ष सहित अनेक वैश्विक शीर्षस्थ नेताओं से मिले। इस दौरान युवा आइकान ने भारतीय योग-दर्शन, वैदिक संस्कृति की सार्वकालिक प्रासंगिकता तथा पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के जीवन दर्शन-दृष्टिकोण को साझा किया। इस दौरान उन्होंने योग को केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मिक उत्थान और वैश्विक मानवता की साधना बताया। प्रतिकुलपति डॉ. पंड्या जी ने अखिल विश्व गायत्री परिवार की मूल अवधारणा, युग निर्माण योजना एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के सेवा और साधना आधारित वैश्विक प्रयासों का भी परिचय दिया। उन्होंने युगऋषि पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्यश्री एवं माता भगवती देवी शर्मा जी द्वारा रचित युगसाहित्य एवं विचार प्रतिनिधियों को भेंट की।

मान. पोप लियो एवं इटली की प्रधानमंत्री सुश्री जियोर्जिया मेलोनी सहित सभी शीर्ष नेताओं ने युगऋषि पूज्य आचार्यश्री एवं माता भगवती देवी शर्मा जी के संदेश की सार्वभौमिकता, जीवनदायिनी गहराई और युग परिवर्तनकारी सामर्थ्य की मुक्तकंठ सराहना की। युवा आइकॉन का यह आध्यात्मिक संदेश यूरोपियन देशों तक पहुँचाना वास्तव में एक सांस्कृतिक-आध्यात्मिक सेतु का कार्य करेगा और  समस्त विश्व में वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को भी सशक्त करेगा।

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