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हरिद्वार में पंचपुरिय श्री वैष्णव विरक्त महामंडल के नवनियुक्त पदाधिकारियों का भव्य स्वागत

ByAdmin

Jul 19, 2025

हरिद्वार, 19 जुलाई: तीर्थ नगरी हरिद्वार के भूपतवाला स्थित श्री घनश्याम भवन में शनिवार को पंचपुरिय श्री वैष्णव विरक्त महामंडल हरिद्वार के नवनियुक्त पदाधिकारियों का भव्य स्वागत एवं अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में संत समाज, भक्तगणों और विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात संत महंत प्रेमदास महाराज ने की, जबकि पंडित वीरेंद्र तिवारी और विकल राठी ने माल्यार्पण कर सभी पदाधिकारियों का अभिनंदन किया। नवनियुक्त संरक्षक महंत रामदास महाराज (प्राचीन राम मंदिर), अध्यक्ष श्रीमहंत परमेश्वर दास महाराज (गोकुलधाम), उपाध्यक्ष महामंडलेश्वर श्याम दास महाराज (हनुमान गुफा मंदिर), मंत्री महंत किशन दास महाराज (घनश्याम भवन), संगठन मंत्री महंत राजकुमार दास महाराज (सीता माई आश्रम), कोषाध्यक्ष श्रीमहंत गणेश दास महाराज (लक्ष्मी निवास आश्रम) और प्रचार मंत्री महंत राघव शरण महाराज (श्याम दास कुटिया) को सम्मानित किया गया।

अध्यक्ष पद संभालने के बाद श्रीमहंत परमेश्वर दास महाराज ने कहा कि पंचपुरिय विरक्त महामंडल जगदगुरु स्वामी रामानंदाचार्य जी की परंपरा का संवाहक है। इसमें उन सभी संतों, महंतों और महामंडलेश्वरों को जोड़ा जाएगा जो धर्म प्रचार, गौ सेवा और संत सेवा में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि धर्म की मर्यादा बनाए रखने के लिए महापुरुषों द्वारा बनाए गए नियमों का पालन पूर्ण समर्पण के साथ करना होगा।

महामंडलेश्वर श्याम दास महाराज ने आह्वान किया कि सभी पदाधिकारी एकजुट होकर संगठन की धर्म ध्वजा को देश-विदेश में फहराएं और सनातन धर्म की रक्षा के लिए कार्य करें। मंत्री महंत किशन दास महाराज ने कहा कि अब समय आ गया है कि सनातन धर्म को बदनाम करने वालों का डटकर विरोध किया जाए और उन्हें उनके उचित स्थान तक पहुँचाया जाए।

महंत राजकुमार दास महाराज ने तीर्थ नगरी हरिद्वार में मठ-मंदिरों और आश्रमों पर भूमाफियाओं द्वारा किए जा रहे षड्यंत्रों की निंदा करते हुए कहा कि संत समाज इन कुचक्रों को निष्फल करेगा। संगठन की ओर से ठाकुर सेवा, गौ सेवा और संत सेवा जैसे कार्य निरंतर चलाए जाएंगे।

कोषाध्यक्ष श्रीमहंत गणेश दास महाराज ने कहा कि संत समाज को अब एकजुट होकर सनातन धर्म की रक्षा और विस्तार के लिए संगठित प्रयास करने होंगे।

कार्यक्रम में उपस्थित सभी संतों ने संकल्प लिया कि वे धर्म, संस्कृति और भारतीय परंपरा की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

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