संत समाज सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है:स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज
संतों का जीवन समाज को नई दिशा देने वाला होता है:योगगुरु स्वामी रामदेव
अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने श्रीमहंत जगदीश पुरी को जूना अखाड़ा का योग्य संत बताते हुए राजस्थान में उनके योगदान को सराहा
संतों का जीवन धर्म-संस्कृति के संवर्धन के लिए समर्पित होता है:प्रताप पुरी
हरिद्वार। उत्तर हरिद्वार के भूपतवाला स्थित जीडी पुरम में नवनिर्मित श्री डूंगरपुरी आश्रम का विधिविधान से भव्य लोकार्पण किया गया। इस पावन अवसर पर जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, योग गुरु बाबा रामदेव, जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज, वरिष्ठ सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि, अंतर्राष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत मोहन भारती, राष्ट्रीय महासचिव श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरि सहित अनेक संत-महात्माओं की गरिमामयी उपस्थिति रही।
समारोह का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार व हवन यज्ञ के साथ हुआ, जिसके बाद लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि संत समाज सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने श्री डूंगरपुरी आश्रम के निर्माण के लिए श्रीमहंत जगदीश पुरी महाराज की सराहना करते हुए इसे संत समाज की सेवा और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु एक श्रेष्ठ कदम बताया।
योग गुरु बाबा रामदेव ने अपने संबोधन में कहा कि संतों का जीवन समाज को नई दिशा देने वाला होता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह आश्रम आने वाले समय में निर्बल व असहाय व्यक्तियों की सेवा में भी प्रमुख भूमिका निभाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने श्रीमहंत जगदीश पुरी को जूना अखाड़ा का योग्य संत बताते हुए राजस्थान में उनके योगदान को सराहा। राष्ट्रीय महासचिव श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरि ने आश्रम को हरिद्वार आने वाले संतों व श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बताया।
राजस्थान सरकार में विधायक प्रतापपुरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन धर्म-संस्कृति के संवर्धन के लिए समर्पित होता है। राजस्थान में संतों द्वारा चलाए जा रहे सेवा प्रकल्प सनातन धर्म को सशक्त बना रहे हैं।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरि, श्रीमहंत महेश पुरी, महंत तूफान गिरी, महंत रतन गिरी समेत सैकड़ों संत-महंत और श्रद्धालु उपस्थित रहे। समारोह श्रद्धा, भक्ति और गौरव का प्रतीक बना रहा।