अपने अंदर की कमी का करें आत्मावलोकन ः शरद पारधी
Haridwar news गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सक्रिय कार्यकर्त्ता शिविर का शुभारंभ हुआ। शिविर का शुभारंभ देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति शरद पारधी, शिवप्रसाद मिश्र, डॉ ओपी शर्मा, वीरेन्द्र तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस शिविर में देशभर से चयनित १२०० से अधिक सक्रिय वरिष्ठ कार्यकर्त्तागण शामिल हैं।
इस अवसर पर गायत्री परिवार के संस्थापक पूज्य पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी की करिष्ये वचनं तव विषय पर वीडियो संदेश दिखाया गया, जिसमेंं पूज्य आचार्यश्री कहते हैं कि आपको जो कुछ भी भगवान ने दिया है, उसे भगवान के खेत में बो दीजिए। कई गुना होकर लौटेगा।
शिविर के प्रथम सत्र में लोकसेवियों के लिए दिशाबोध विषय पर संबोधित करते हुए कुलपति श्री शरद पारधी ने कहा कि हमारे कार्यकर्त्ताओं को अपना नियमित रूप से आत्मावलोकन करना चाहिए। जिससे वे ऊँचे से ऊँचा उठ सके। उन्होंने कहा कि सच्चे लोकसेवियों को सप्तमहाव्रत का अवश्य पालन करना चाहिए। हमें अपने लक्ष्य और चिंतन को निर्धारित करना चाहिए और उसके अनुसार अपने चिंतन को बनाये रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रमशीलता के अंतर्गत जिसने जितने समय का सदुपयोग किया, उसने उतनी ही सफलता अर्जित की। लोकसेवियों को आलस्य-प्रमाद को शत्रु समझना चाहिए और उन्हें निकट नहीं आने देना चाहिए।
पारधी ने कहा कि स्वच्छता, सादगी और सुरुचि का समावेश ही सौंदर्य है। अपने कार्य क्षेत्र पर इस सन्दर्भ में पैनी दृष्टि रखें कि कहीं गन्दगी, अस्त-व्यस्तता तो दिखाई नहीं पड़ रही है। कुलपति ने कहा कि लोकसेवियों में शिष्टता होना चाहिए। उन्हें श्रम, समय, चिन्तन, धन एवं प्रतिभा के रूप में उपलब्ध क्षमताओं का महत्त्व समझना चाहिए और उनका सुदपयोग करते रहने की बात सदैव सोचते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्म निर्माण की दृष्टि से अन्तर्मुखी बनें। मिल-जुलकर काम करें और मिल बाँट कर खायें। इससे आत्मीयता का विस्तार होगा, यही हमें मजबूत बनाये रखता है।
पारधी ने कहा कि हम सभी को दूरदर्शी, विवेकशीलता अपनाना चाहिए और उसी आधार पर नीति का निर्धारण करना चाहिए। प्रचलित ढर्रे में से उतना ही स्वीकार करें जो उचित हो। लोकमंगल का ध्यान रखें।
इस दौरान झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम आदि प्रांंतों से आये कार्यकर्त्ताओं की प्रांतवार संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि संगठन को और अधिक मजबूत बनाये रखने के लिए सद्ज्ञान व सद्कर्म का विस्तार करें। उद्घाटन सत्र का संचालन श्री विजय कावरे ने किया।