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उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ा पर्यावरण संरक्षण का महोत्सव है हरेला: श्रीमहंत रविंद्रपुरी

ByAdmin

Jul 23, 2023




: हरेला को पखवाड़ा के रूप में मनाएगा अखिल भारतीय सनातन परिषद


: युवा विंग ने विभिन्न प्रजाति के फलदार पौधों का किया रोपण


अखिल भारतीय सनातन परिषद युवा विंग की ओर से उत्तराखंड का लोक पर्व हरेला को पखवाड़ा के रूप में मनाते हुए पौधारोपण किया गया। मुख्य अतिथि अखिल भारतीय सनातन परिषद के संस्थापक अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज का पदाधिकारियों ने फूल मालाओं और पटका पहनाकर स्वागत किया।


मुख्य अतिथि अखिल भारतीय सनातन परिषद के संस्थापक अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने विधि विधान से मंत्रोच्चार के बाद रुद्राक्ष का पेड़ लगाया। इसके अलावा अमरूद, आम, जामुन, पीपल, बरगद, नीम, आंवला का पौधारोपित किया। उन्होंने सभी को पेड़ों के संरक्षण का संकल्प दिलाया।


इस दौरान संस्थापक अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि हरेला पर्व उत्तराखंड की लोक परंपराओं तथा लोक संस्कृति से जुड़ा पर्यावरण संरक्षण का महोत्सव है। हरेला पर्व के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश मिलता है। कहा कि पौधारोपण के समय औषधीय व स्वास्थ्यवर्द्धक पौधों के रोपण को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय महामंत्री पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि हरेला पर्व हरियाली यानि पर्यावरण से जुड़ा हुआ है जो समृद्धि का प्रतीक है। कृषि प्रधान देश भारत की कृषि संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। हरेला पर्व कुमाऊं क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है और जनमानस के मन में रचा-बसा है। हरेला पर्व के साथ कुमाऊं में श्रावण मास की शुरुआत होती है। कुछ स्थानों पर प्रकृति संरक्षण के रूप में भी हरेला मनाए जाने का प्रचलन है।

अखिल भारतीय सनातन परिषद युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह और प्रदेश महामंत्री सावन लखेरा ने कहा कि हरेला पर्व खुशियों, प्रकृति संरक्षण का प्रतीक है। कहा कि आज मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं के लिए संसाधनों को बढ़ा रहा है जिससे कि प्रकृति का दोहन हो रहा है। वनों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए सभी की जन सहभागिता से वृक्षारोपण किया जाना नितांत आवश्यक है। ताकि जो जल संकट की समस्या उत्पन्न हो रही है वह समस्या उत्पन्न न होने पाए। आने वाली पीढ़ी को हम जल संकट से बचा सकें। इसके लिए यह जरूरी है कि जिन वृक्षों का रोपण किया जा रहा है उनके संरक्षण व संवर्द्धन की भी जिम्मेदारी लेनी नितांत आवश्यक है।

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