हरिद्वार।देव भूमि हरिद्वार के भेल क्षेत्र सेक्टर 4 स्थित श्री वर्धमान जैन परिषद में श्री साधु सेवा समिति पंचपुरी के तत्वावधान में चातुर्मास प्रवास प्रवचन कार्यक्रम आयोजित किया गया।चातुर्मास प्रवास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तपस्वी सम्राट आचार्य श्री108 सौभाग्य सागर महाराज ने कहा कि हम अपनी इंद्रियों को वश में करके सामाजिक एकता के माध्यम से जैन धर्म को सुरक्षित संवर्धित कर सकते हैं। संगठित समाज की संगठित राष्ट्र का निर्माण करता है।तीर्थंकर भगवान महावीर हमें यही शिक्षा देते है कि अपने जीवन में शांति, सुख पाना है तो अपने आप को सांसारिक की परवस्तुओं से हटकर स्वतत्व की और आना होगा। मन, कर्म, वचन पर वहीं महान पुरूष विजय प्राप्त कर सकता है जो अपने जीवन को संयम बनाता है।उन्होंने कहा कि उच्च वाणी से मनुष्य उच्च उपलब्धि प्राप्त कर सकता है हमें अपनी वाणी को विवेक पूर्वक बोलना चाहिए।
संत श्री 108सूरत्न सागराचार्य महाराज ने कहा कि जीवन का शुद्ध,कर्म,वचन,मन से किया आचरण संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन करता है।हमे अपने जीवन के वचन कर्म आचरण को उच्च कोटी का बनाना चाहिए हमे अपनी आने वाली पीढ़ी को अहिंसा परमो धर्म का पाठ पढ़ाकर उन्हें शिक्षा के साथ साथ अपने धर्म संस्कृति के बारे मे बताना चाहिए तभी हम सभी अपने धर्म का संरक्षण संवर्धन कर सकते है।उन्होंने कहा कि जूठे मुख से भगवान का उच्चारण नही करना चाहिए, बड़े आयोजनों मे धर्म प्रभावना नही होती जबकि आचरण की प्रभावना ग्रंथो में लिपि बध्य हैं।नाचना गाना यह प्रभावना नही है।उन्होंने कहा कि जैन समाज अपने धर्म से विमुख हो रहा है,इसके विपरीत जैन भोजन की व्यवस्था से अजैन लोग भी लाभाविन्त हो रहे है।धर्म ध्वजा को लेकर चलने के लिए लोग नही मिल रहे हैं दिगम्बर साधु जब विपरीत परिस्थितियों में विहार करते है तो जन समूह देखकर कहते है कि तपस्या क्या होती हैं यह पता चलता है।हमे अपने धर्म को मजबूत करने के लिए अपनी पीढ़ी को संस्कारवान बनाना होगा।
प्रवचन में केशव जैन , अशोक जैन,बालेश जैन,सतीश जैन,गिरीश जैन,दिनेश जैन,कविता जैन,समर्थ जैन,नीरू जैन,पियूष जैन,ओ पी जैन,अर्चना जैन ने अपनी महिला समिति के साथ उपस्थित होकर धर्म लाभ प्राप्त किया।