हरिद्वार/राजीव कुमार
स्वामी करौली शंकर महादेव ने कहा कि लोगों की स्मृति का उपचार करने के बाद लोग स्थाई रूप से रोग मुक्त हो जाते है। लोगों के जीवन को नई दिशा देने के लिए स्मृति का उपचार करना जरूरी है। बीमारी में चिकित्सीय उपचार करने के साथ स्मृति का उपचार करना जरूरी है। ताकि बीमारी से दोबारा ग्रस्त नहीं हो सकें।
श्री करौली शंकर महादेव धाम हरिपुर कलां में गुरुवार से तीन दिवसीय पूर्णिमा महोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ होगा। कार्यक्रम का उद्देश्य रोग मुक्त मानव, नशा मुक्त मानव, भय मुक्त मानव, ऋण मुक्त मानव और शोक मुक्त मानव होने का संकल्प है। संकल्प के उद्देश्य की पूर्ति के लिए तीन दिन कार्यक्रम में हवन, संकल्प, ध्यान और साधना की जाएगी। बुधवार को स्वामी करौली शंकर महादेव ने पत्रकार वार्ता में जानकारी देत हुए बताया कि किसी भी व्यक्ति के रोगों का कारण उसके सूक्ष्म जीवन के चित्त में निहित पूर्व जन्मों की नकारात्मक रोगी स्मृतियां और पितरों के अंतिम समय के रोग और कष्टों की स्मृतियां है। लोग चिकित्सकों से अपना उपचार कराते है। लेकिन उपचार के बाद भी लोग दोबारा उसी बीमारी से ग्रस्त हो जाते है। ऐसा लोगों की स्मृति की वजह से होता है। हमारे पूर्वजों की स्मृति भी हमसे जुड़ी होती है। स्मृति लोगों के मन, भाव, शरीर और जीवन को प्रभावित करती है। उपचार के बाद भी लोगों की स्मृति बीमारी से जुड़ी रहती है। इस कारण लोग दोबारा बीमार पड़ जाते है। स्मृति का उपचार कर लोगों की नकारात्मकता को समाप्त किया जाता है। उपचार के बाद लोगों में सकारात्मक जागृत होती है। लोगों की स्मृति का उपचार कर लोगों के जीवन को बदला जा सकता है। दावा किया कि स्मृति का उपचार कर लोग स्थाई रूप से रोग मुक्त होते है। स्मृति से जिस रोग का उपचार होता है। वह रोग लोगों को दोबारा जीवन में नहीं लगता है। स्मृति से उपचार कर लोग बुराइयां से बच सकते है। बुरी आदत स्मृति का उपचार करने से छूट जाती है। दावा किया कि स्मृति का उपचार कर बड़ी संख्या में लोग देश और विदेश में स्थाई रूप से रोग मुक्त हो रहे है।