निरंजनी अखाड़ा स्थित मनसा देवी चरण पादुका मंदिर परिसर में शिव आराधना के दौरान भक्तों को शिव महिमा से अवगत कराते हुए अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि सावन में जब भगवान नारायण क्षीर सागर में शयन के लिए चले जाते हैं तो भगवान शिव कनखल स्थित अपनी ससुराल में रहकर संसार का संचालन और पालन करते हैं। भगवान शिव अपने भक्तों पर सदैव कृपा बरसाते हैं और मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि सभी को प्रतिदिन भगवान शिव का जलाभिषेक अवश्य करना चाहिए। लेकिन सावन में शिव आराधना का विशेष महत्व है।
सावन में प्रतिदिन गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद आदि से अभिषेक करने पर भगवान शिव अत्यन्त प्रसन्न होते हैं और साधक के सभी कष्ट दूर कर देते हैं। शिव कृपा से जीवन निष्कंटक हो जाता है। प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। लोक कल्याण के लिए हलाहल विष को कंठ में धारण करने वाले भगवान शिव की आराधना कभी निष्फल नहीं जाती। उन्होंने कहा कि श्रावण मास में होने वाला विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक संगम कांवड़ मेला भगवान शिव को ही समर्पित है। कांवड़िएं कठिन और लंबी दूरी की यात्रा कर अपने अभिष्ट शिवालयों में हरिद्वार से ले जाए गए गंगा जल से महादेव का जलाभिषेक करते हैं। सभी को सावन में भगवान शिव की आराधना करने के साथ मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। उन्होने कांवडियों से गंगा को स्वच्छ, निर्मल और अविरल बनाए रखने में सहयोग की अपील भी की।