अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं साधु समाज ने श्री महंत हरि गिरि को किया समर्थन
*गुजरात/हरिद्वार*
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के जूनागढ़ स्थित भूतनाथ महादेव मंदिर को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति बताने और जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि पर इसे लेकर अनर्गल आरोप लगाने के मामले की जांच को आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने 11 सदस्यीय समिति गठित की है। यह समिति सात दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने आरोप लगाया कि महेश गिरि ने अखाड़े का संन्यासी होने के बावजूद गृहस्थ में प्रवेश कर लिया और चुनाव लड़कर सांसद भी बन गए। बाद में अखाड़े की संपत्ति पर कब्जा करने की नीयत से दोबारा संन्यास धर्म अपना कर न सिर्फ अखाड़े की संपत्ति पर कब्जा किया, बल्कि अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया।
श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि कमेटी के संरक्षक आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि होंगे।
समिति में श्रीमहंत मोहन भारती को अध्यक्ष और महामंडलेश्वर कपिल पुरी, महामंडलेश्वर महेश्वर आनंद गिरि, श्रीमहंत गणपत गिरि, श्रीमहंत केदारपुरी, श्रीमहंत सिद्धेश्वर यती, श्रीमहंत आनंद गिरि, श्रीमहंत निरंजन भारती, श्रीमहंत शिवानंद सरस्वती व श्रीमहंत नारायण गिरि को सदस्य बनाया गया है। बताया महेश गिरी को श्रीमहंत अमृत गिरी ने जूनागढ़ स्थित कमंडल कुंड की देख-देख की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन वह संन्यास धर्म छोड़कर गृहस्थ के साथ सांसद भी बन गए। इसके बाद उन्होंने भूतनाथ मंदिर जूनागढ़ और अन्य संपत्तियों पर कब्जे की नीयत से दोबारा संन्यास ग्रहण कर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि महेश गिरि का भूतनाथ महादेव मंदिर को अपनी निजी संपत्ति बताना और संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि पर अनर्गल आरोप लगाने के पीछे निश्चित ही कोई बहुत बड़ा षड्यंत्र है। कहा कि मामले में कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी, ताकि अखाड़े की गौरवमयी परंपरा कायम रह सके।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं साधु समाज ने श्री महंत हरि गिरि को किया समर्थन
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज के ने बताया कि अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं जूना अखाड़ा के संरक्षक श्री महंत हरि गिरि महाराज का सम्पूर्ण जीवन सनातन धर्म की सेवा में समर्पित है। वह न केवल धार्मिक कार्यों में अग्रणी रहे हैं, बल्कि समाज में भी उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनकी निष्ठा, उनकी पवित्रता और उनके कार्यों को देखते हुए इस प्रकार के आरोपों का कोई औचित्य नहीं है। विरोधियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और सभी संत-महात्माओं का पूरा समर्थन प्राप्त है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने स्पष्ट रूप से कहा है कि विरोधियों द्वारा उठाए गए आरोपों का कोई आधार नहीं है। परिषद के सभी सदस्य महंत श्री हरि गिरि महाराज के साथ खड़े हैं और इस षड्यंत्र को पूरी तरह से नकारते हैं। उनका मानना है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि झूठे आरोपों का पर्दाफाश हो और असली साजिश सामने आ सके।
धर्म, संस्कृति और समाज के प्रति श्री महंत हरि गिरि महाराज का योगदान अतुलनीय है। ऐसे महान संत पर झूठे आरोप लगाने का उद्देश्य केवल समाज में विभाजन उत्पन्न करना है। लेकिन उनका समर्थन करने वाले संत और संगठन यह सुनिश्चित करेंगे कि विरोधियों के षड्यंत्र को किसी भी सूरत में सफल नहीं होने दिया जाएगा। सनातन धर्म और इसके अनुयायियों की एकता और शक्ति को कोई भी तोड़ नहीं सकता।
इस मामले में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है, ताकि सत्य सामने आ सके और विरोधियों के प्रयासों को पूरी तरह से विफल किया जा सके।