• Tue. Oct 8th, 2024

Uttrakhand news डॉ मनोज श्रीवास्तव की पुस्तक ‘खुशी’ का केंद्रीय मंत्री ने किया विमोचन

ByAdmin

Sep 27, 2024

आबू(राजस्थान)

ब्रह्माकुमारीज के मीडियाविंग द्वारा आबू रोड के आनंद सरोवर में 5 दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सेमिनार का उदघाटन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ एल मरूगन द्वारा किया गया।केंद्रीय राज्य सूचना एवं प्रसारण मंत्री डॉ एल मुरुगन ने कॉन्फ़्रेन्स के दौरान उत्तराखंड सूचना विभाग के उपनिदेशक मनोज श्रीवास्तव द्वारा डॉ शिप्रा मिश्रा के सहयोग से लिखित पुस्तक “आध्यात्मिक चेतना से पाएं-खुशी” का विमोचन किया,जिसमे विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति डॉ श्रीगोपाल नारसन भी शामिल हुए।केंद्रीय मंत्री मरूगन ने मूल्यों पर आधारित खुशी पुस्तक की सराहना की।ब्रह्माकुमारीज संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके ब्रजमोहन भाई व शीलू दीदी ने पत्रकारिता को आध्यात्मिकता से जोड़ने पर जोर दिया ताकि स्वच्छ व स्वस्थ पत्रकारिता का उदभव हो सके। अतिथियों का स्वागत करते हुए ब्रह्माकुमारीज मीडिया समन्वयक बीके शांतनु ने कहा कि इस आध्यात्मिक एवं सुखद वातावरण में मीडिया कर्मियों को निश्चित ही असीम शांति व खुशी की अनुभूति हो रही होगी और वे सकारात्मक पत्रकारिता की प्रेरणा लेकर देश व समाज के लिए बेहतर कार्य कर सकेंगे।इस कांफ्रेंस में देशभर से बड़ी संख्या में आए पत्रकारो,मीडिया प्राध्यापको व संस्थान प्रमुखों ने मीडिया की वर्तमान दशा व दिशा पर चिंतन किया व पत्रकारों को आध्यात्मिकता से जोड़कर उनके चारित्रिक उत्थान के लिए स्वस्थ व सुखी समाज की पुनः स्थापना के लिए स्वयं में बदलाव की टिप्स दी।ब्रह्माकुमारीज मीडियाविंग के चेयरपर्सन बीके करुणा भाई ने कहा कि मीडिया अपनी सार्थक जिम्मेदारी निभा रहा है और मीडिया का राष्ट्रीय व सामाजिक सरोकारों को आमजन के सामने लाने में अहम योगदान है।पुस्तक के लेखक मनोज श्रीवास्तव ने केंद्रीय राज्य मंत्री मरूगन अपनी पुस्तक के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि आज का जीवन बहुआयामी हो चुका है। हमें प्रोफेशनल लाइफ, सोशल लाइफ और पर्सनल लाईफ अर्थात् व्यावसायिक जीवन, सामाजिक जीवन और व्यक्तिगत जीवन के विविध क्षेत्रों में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

परंपरा के अनुसार किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए बौद्धिक क्षमता अर्थात् आई-क्यू को प्रमुख कारक के रूप में माना गया है। कहा जाता है यदि किसी व्यक्ति में आई-क्यू अधिक है तो उसकी सफलता की संभावना ज्यादा है। लेकिन जीवन में आई-क्यू का प्रयोग करने के बाद भी बढ़ती हुई अनिश्चितता, दबाव, तनाव, अवसाद, असफलता यह सिद्ध करती है कि हम अपनी भावनाओं की उपेक्षा कर रहे हैं जो हमें जीवन में असफल बनाकर असंतुष्टि प्रदान कर रही है। लेकिन भौतिकवादी जीवन व भोगवादी लिप्सा के कारण व्यक्ति अपने जीवन के मूल उद्देश्य से भटक जाता है। आध्यात्मिक बुद्धि हमें जीवन के सभी भटकाव से बचाती है, और जीवन जीने के वास्वविक लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रति जागरूक करती है।

By Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed